First Aid / प्राथमिक चिकित्सा


प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी जरूरी
जब कोई व्यक्ति घायल या अचानक बीमार पड़ जाता है, तो चिकित्सकीय मदद से पहले का समय बेहद महत्वपूर्ण होता है। जहां तक संभव हो, दस्तानों का उपयोग करें ताकि खून तथा शरीर से निकलनेवाले अन्य द्रव्य से आप बच सकें। यदि आपात स्थिति हो तो यह सुनिश्चित करें कि पीड़ित की जीभ उसकी श्वास नली को अवरुद्ध नहीं करे। मुंह पूरी तरह खाली हो। आपात-स्थिति में मरीज का सांस लेते रहना जरूरी है। यदि सांस बंद हो तो कृत्रिम सांस देने का उपाय करें।
प्राथमिक चिकित्सा किट
हर घर, ऑफिस और स्कूल में एक फर्स्ट एड किट होनी चाहिए। यह दुकानों में आसानी से उपलब्ध होता है लेकिन आप घर पर उपलब्ध एक टिन या कार्ड बोर्ड बॉक्स का उपयोग अपने प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स के रूप में कर सकते हैं। आपके प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स में पट्टियां, बैंडेड, कैंची, एंटीसेप्टीक आदि होना चाहिए।
पानी में डूबने पर
अगर कोई व्यक्ति पानी में डूब कर बेहोश हो गया है और उसके पेट के अंदर पानी भर गया है तो नाक-गले को साफ करके उल्टा लिटा दें ताकि पेट में भरा पानी बाहर निकल जाए। पानी निकलने के बाद रोगी को तुरंत मुंह से सांस देनी चाहिए।
कटना
पूरे भाग को साबुन तथा गुनगुने पानी से साफ करें ताकि धूल हट जाये। घाव पर सीधे तब तक दबाव डालें, जब तक खून का बहना बंद हो जाये। घाव पर असंक्रामक पट्टी बांधें। यदि घाव गहरा हो तो जल्दी से चिकित्सक से संपर्क करें।
दम घुटना
जब किसी व्यक्ति का दम घुट रहा हो और वो सांस लेने में असमर्थ है तो यह दिल का दौरा हो सकता है। मरीज के पीछे खड़े हों और उसकी कमर के चारों तरफ हाथ रखें। सबसे पहले हथेली को पेट पर रखें और अंगूठे से पेट के बीच में नाभि से ऊपर लेकिन छाती की हड्डियों के नीचे दबायें। अपनी हथेली को जमाये रखें और ऊपर-नीचे करते हुए तेजी से अपने दोनों हाथों को अपनी ओर खींचें। यह प्रक्रिया उस समय तक जारी रखी जाये, जब तक मरीज के गले में फंसी चीज बाहर निकल जाये या मरीज बेहोश हो जाये। यदि आप खुद इस आपात स्थिति का मुकाबला करने में सक्षम हो रहे हों, तो मरीज को तत्काल किसी चिकित्सक के पास ले जायें।
लू लगना
मरीज के शरीर को तत्काल ठंडा करें। यदि संभव हो, तो उसे ठंडे पानी में लिटा दें या उसके शरीर पर ठंडा भींगा हुआ कपड़ा लपेटें या उसके शरीर को ठंडे पानी से पोछें, शरीर पर बर्फ रगड़ें या ठंडा पैक से सेकें। जब मरीज के शरीर का तापमान 101 डिग्री फारेनहाइट के आसपास पहुंच जाये, तो उसे एक ठंडे कमरे में आराम से सुला दें।
जलने पर
जलने पर प्राथमिक उपचार कितना जला है, इस पर निर्भर करता है। छोटे-घाव का उपचार गहरे घाव से बिल्कुल अलग होता है। छोटे घाव के लिए घाव को ठंडा होने दें। ऐसा करने के लिए घाव को बहते पानी के नीचे 5 मिनट तक अथवा दर्द के कम होने तक रखे। आप जले हुए हिस्से को ठंडे पानी में भी डुबो कर रख सकते हैं अथवा इसे ठंडी पट्टियों से ठंडा करें। घाव को ठंडा करने की प्रक्रिया से त्वचा से गर्मी निकाल कर सूजन को कम किया जाता है। घाव पर कभी भी बर्फ लगाएं।
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धन्यवाद 
हिमांशु उपाध्याय 


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